अभी समाचार पत्रों को देखा तो पता चला के हमारे कुछ बुद्धिजीवी, मानवाधिकार संगठन तथा नेताओं को किसन जी का मुठभेड़ में मारा जाना फर्जी लगा, भई वह ! पढ़ कर मजा आ गया, मन सोचने को मजबूर हो गया के इतने बड़े-बड़े ख़ुफ़िया जासूस(मानव अधिकार संगठन और बुद्धिजीवी) जैसे शूरवीर बेकार ही पड़े थे! मै तो माननीय प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से निवेदन करता हूँ , के इन सामाजिक संगठन व बुद्धिजीवियों को जल्दी से जल्दी भारतीय intelligence ख़ुफ़िया विभाग का chair parson(अध्यक्ष) बना दिया जाये. क्योंकि जो बुद्धिजीवी बिना मुठभेड़ स्थल देखे,बिना छानबीन किये किसन जी मुठभेड़ को कुछ ही घंटे में फर्जी करार दे सकता है, तब तो वह पडोशी देश जैसे पाकिस्तान,चीन आदि जो दुश्मन बने बैठे हैं उनकी ख़ुफ़िया जानकारी मिनटों में जुटा देगी जिससे देश को भी फायदा होगा. धन्य हो मानवाधिकार संगठन, बुद्धिजीवियों जो आपको नक्सलियों द्वारा की गयी रेल दुर्घटना, आये दिन होने नक्सली बंदी, आर्थिक नुकसान, आम नागरिकों की हत्या तथा नक्सलियों द्वारा की जा रही अत्याचार नजर नहीं आ रही होगी, और शायद बुद्धिजीवियों आप वो सामूहिक नरसंहार भी भूल गए होंगे, जब छत्तीसगढ़ के दंतेवाडा में 75 से अधिक जवानों को घेरकर बेरहमी से मौत के घाट उतर दिया तब ये स्वन्सेवी संघटन और ये बुद्धिजीवी कहाँ छुपे बैठे थे. तब उन्हें उस वक्त मानव अधिकार क्यों दिखाई नहीं दिया, क्या मानव अधिकार की बातें केवल इन हत्यारी नक्सलियों के लिए ही है. उन जवानों के शहीद होने से कितने औरतें विधवा हो गयी, कितने माँ की गोद सूनी हो गयी, कितने बच्चें अनाथ हो गए, उन बच्चों के सर पर हाथ कौन फेरेगा जिनकी हत्या इन दरिंदो(नक्सली) ने कर दी. तब किया इन बुधिजोवियों को नक्सलियों के खिलाफ बोलनी नहीं चाहिए था !
असल में इन बुधिजिवियों , मानव अधिकार संगठन आदि को इन नक्सलियों से हमदर्दी नहीं अपितु ये लोग ऐसे मौके की ताक में रहते के जिस घटना से इन्हें जबरदस्त परचार परसार मिले उस घटना पर टिका-टिप्पणी कर देते हैं और जिस घटना से इनका फायदा नहीं होना वाला उस घटना से ऐसे मौन धारण कर लेते हैं जैसे देश हित में उन्होंने मौन-अनशन कर रखा है! कभी-कभी मुझे समझ में नहीं आता आखिर ये नक्सली चाहते किया हिया. नक्सलियों का कहना है वे जमीं से जुड़े हैं और हम हथियार मजबूरी में उठाते हैं क्योंकि हमारा शोषण हुआ है, हमारे क्षेत्र को विकास से वंचित रखा जा रहा है और जब इनके क्षेत्र में विकास कार्य जैसे स्कूल, सड़क आदि का निर्माण होने लगता है तो ये नक्सली विकास में अवरोध पैदा करने लगते हैं ! अब तक हजारों ऐसी घटना हो चुकी है जिसमें नक्सलियों ने कई पंचायत भवन, School,रेल पटरियां आदि को बम विस्फोट कर उड़ा दिया ! तब ये किस मूंह से कहता हैं के इनका शोषण हुआ है, दरअसल अब नक्सलवाद अब एक ऐसा धंधा बन गया है जिसमें बिना invest किये ही डर भय दिखा कर करोड़ों रूपये कमाने का एक जरिया बन गया है, तभी तो ये नक्सली अपने क्षेत्र में करोडो अरबों रूपये लेवी के रूप में उगाही करते हैं. अब ये हमारे समझ से परे है के कैसे इनका शोषण हो रहा है! और तो और इन नक्सलियों को हमारे लोकतंत्र से भी बैर है, उन्हें देश में लोकतंत्र नहीं बल्कि पूरी सत्ता ही अपने हाथ में चाहिए जहाँ न कोई लोकतांत्रिक प्रक्रिया हो और न ही मानवता की बातें, बस तानाशाही शासन, जो भारत जैसे देश में नामुकिन है ! क्योंकि भारतवर्ष ही एक ऐसा देश है जहाँ दुश्मन को भी प्यार दिया जाता है, तभी तो जिनके(किशनजी) एक इशारे पर हजारों का खून बहा दिया जाता है उनके अंतिम संस्कार में माननिये , सुभचिन्तक पहुंचे और ये सिर्फ भारत जैसे देश में ही संभव है के जिनको गिरफ्तार/एनकाउन्टर करने के लिए हजारों कोबरा फोर्स को झोंकना पड़ा उनके (किशनजी)एनकाउन्टर के जांच के आदेश दिए गए सिर्फ हकीकत को सामने लाने के लिए के क्या वास्तव में किसनजी एनकाउन्टर नियमानुकूल थे या नहीं !नक्सलियों को हमारे लोकतांत्रिक प्रक्रिया से कुछ शिकायत है, लेकिन हमें ये नहीं भूलना चाहिए के भारत एक लोकतांत्रिक,विभिन्न वेशभूषा, सम्पर्दाय ,क्षेत्र, जाती, भाषा तथा 125 करोड़ आबादी वाला देश है जहाँ हर किसी के उम्मीद पर खरा उतरना लगभग असंभव है!
मै मानता हूँ के के हमारे लोकतांत्रिक system से लोगों को शिकायत है, लेकिन हम ये क्यों भूल जाते हैं के जिसने इस सृष्टि को बनाया क्या कभी हमें उनसे शिकायत नहीं हुई, अवश्य हुई होगी तो जरा सोचिये के जिसने इस पूरी कायनात को बनाये जब हमें उस भगवान् से शिकायत होने लगती है तो फिर मानव निर्मित सामाजिक संरचना को सुचारू रूप से चलने के लिए लोकतांत्रिक पद्धति से क्यों नहीं!अब सवाल ये है के हमें भगवान से भी शिकायत क्यों होने लगती है, दरअसल हमारे मन-मस्तिष्क में ये सुविचार बचपन से बैठा हुआ है के हम सबका पालनहार भगवान है और वही हम सब की सारी जरूरत एवं इच्छाओं की पूर्ती करने वाला है, और जब कभी हमारी मनचाहा जरूरत या इच्छा भगवान पूरी नहीं कर पाते हैं तब हमें भगवान से भी शिकायत होने लगती है, उसी प्रकार लोकतान्त्रिक प्रक्रिया में भी यही बात लागू होती है, जब कोई कार्य हमारे इच्छाओं के अनुरूप नहीं हो पाता है तो हम कोसने लगते हैं पूरी लोकतान्त्रिक प्रक्रिया को !
अतः शिकायत करना लाजमी है परन्तु इसका मतलब ये नहीं के हम हथियार के बल पर पूरी system को बदलने लगे ! इसके लिए हमारे संविधान ने हमें अधिकार दिया है के समाज के मुख्यधारा में रहते हुए ही लोकतान्त्रिक तरीके से सत्ता हासिल कर system में फैली गंदगी तथा कमियों को दूर करें, लेकिन इन दरिंदो(नक्सली) को बस बन्दूक से जवाब देना ही आता है चाहे उसमें पुलिस की जान जाये या फिर आम आदमी की ही मौत क्यों न हो जाये. इसलिए जो सिर्फ बन्दूक से ही शासन करना जानते हैं उनसे लोकतंत्र की उम्मीद करना बेमानी होगी ! इसलिए नक्सलवाद का समूल नाश होना आवश्यक रह गया है ! इसलिए नक्सलियों के जितने बड़े-बड़े नेता हैं उन्हें चुन-चुन कर मार गिराया जाये या गिरफ्तार कर फांसी पर लटका दिया जाये ताके "न रहेगा बांस और ना बजेगी बांसूरी" अर्थात न रहेगा नक्सलियों के हुक्मरान न होगा नक्सलवाद और न ही होगा आम नागरिकों एवं जवानों की हत्या !
शाबास कोबरा बटालियन के वीर जवानों जो आपने बहादूरी का परिचय देते हुए किशन जी (हजारों को मौत के घाट उतारने के आदेश देने वाले) को Encounter(एनकाउंटर) में मार गिराया !लगे रहो.....अभी और भी नक्सलियों के बड़े-बड़े नेता गीदड़ बनकर बिल में छुपे हुए हैं!
कोबरा बटालियन के वीर जवानों को मेरा सलाम "जय हिंद जय भारत"
असल में इन बुधिजिवियों , मानव अधिकार संगठन आदि को इन नक्सलियों से हमदर्दी नहीं अपितु ये लोग ऐसे मौके की ताक में रहते के जिस घटना से इन्हें जबरदस्त परचार परसार मिले उस घटना पर टिका-टिप्पणी कर देते हैं और जिस घटना से इनका फायदा नहीं होना वाला उस घटना से ऐसे मौन धारण कर लेते हैं जैसे देश हित में उन्होंने मौन-अनशन कर रखा है! कभी-कभी मुझे समझ में नहीं आता आखिर ये नक्सली चाहते किया हिया. नक्सलियों का कहना है वे जमीं से जुड़े हैं और हम हथियार मजबूरी में उठाते हैं क्योंकि हमारा शोषण हुआ है, हमारे क्षेत्र को विकास से वंचित रखा जा रहा है और जब इनके क्षेत्र में विकास कार्य जैसे स्कूल, सड़क आदि का निर्माण होने लगता है तो ये नक्सली विकास में अवरोध पैदा करने लगते हैं ! अब तक हजारों ऐसी घटना हो चुकी है जिसमें नक्सलियों ने कई पंचायत भवन, School,रेल पटरियां आदि को बम विस्फोट कर उड़ा दिया ! तब ये किस मूंह से कहता हैं के इनका शोषण हुआ है, दरअसल अब नक्सलवाद अब एक ऐसा धंधा बन गया है जिसमें बिना invest किये ही डर भय दिखा कर करोड़ों रूपये कमाने का एक जरिया बन गया है, तभी तो ये नक्सली अपने क्षेत्र में करोडो अरबों रूपये लेवी के रूप में उगाही करते हैं. अब ये हमारे समझ से परे है के कैसे इनका शोषण हो रहा है! और तो और इन नक्सलियों को हमारे लोकतंत्र से भी बैर है, उन्हें देश में लोकतंत्र नहीं बल्कि पूरी सत्ता ही अपने हाथ में चाहिए जहाँ न कोई लोकतांत्रिक प्रक्रिया हो और न ही मानवता की बातें, बस तानाशाही शासन, जो भारत जैसे देश में नामुकिन है ! क्योंकि भारतवर्ष ही एक ऐसा देश है जहाँ दुश्मन को भी प्यार दिया जाता है, तभी तो जिनके(किशनजी) एक इशारे पर हजारों का खून बहा दिया जाता है उनके अंतिम संस्कार में माननिये , सुभचिन्तक पहुंचे और ये सिर्फ भारत जैसे देश में ही संभव है के जिनको गिरफ्तार/एनकाउन्टर करने के लिए हजारों कोबरा फोर्स को झोंकना पड़ा उनके (किशनजी)एनकाउन्टर के जांच के आदेश दिए गए सिर्फ हकीकत को सामने लाने के लिए के क्या वास्तव में किसनजी एनकाउन्टर नियमानुकूल थे या नहीं !नक्सलियों को हमारे लोकतांत्रिक प्रक्रिया से कुछ शिकायत है, लेकिन हमें ये नहीं भूलना चाहिए के भारत एक लोकतांत्रिक,विभिन्न वेशभूषा, सम्पर्दाय ,क्षेत्र, जाती, भाषा तथा 125 करोड़ आबादी वाला देश है जहाँ हर किसी के उम्मीद पर खरा उतरना लगभग असंभव है!
मै मानता हूँ के के हमारे लोकतांत्रिक system से लोगों को शिकायत है, लेकिन हम ये क्यों भूल जाते हैं के जिसने इस सृष्टि को बनाया क्या कभी हमें उनसे शिकायत नहीं हुई, अवश्य हुई होगी तो जरा सोचिये के जिसने इस पूरी कायनात को बनाये जब हमें उस भगवान् से शिकायत होने लगती है तो फिर मानव निर्मित सामाजिक संरचना को सुचारू रूप से चलने के लिए लोकतांत्रिक पद्धति से क्यों नहीं!अब सवाल ये है के हमें भगवान से भी शिकायत क्यों होने लगती है, दरअसल हमारे मन-मस्तिष्क में ये सुविचार बचपन से बैठा हुआ है के हम सबका पालनहार भगवान है और वही हम सब की सारी जरूरत एवं इच्छाओं की पूर्ती करने वाला है, और जब कभी हमारी मनचाहा जरूरत या इच्छा भगवान पूरी नहीं कर पाते हैं तब हमें भगवान से भी शिकायत होने लगती है, उसी प्रकार लोकतान्त्रिक प्रक्रिया में भी यही बात लागू होती है, जब कोई कार्य हमारे इच्छाओं के अनुरूप नहीं हो पाता है तो हम कोसने लगते हैं पूरी लोकतान्त्रिक प्रक्रिया को !
अतः शिकायत करना लाजमी है परन्तु इसका मतलब ये नहीं के हम हथियार के बल पर पूरी system को बदलने लगे ! इसके लिए हमारे संविधान ने हमें अधिकार दिया है के समाज के मुख्यधारा में रहते हुए ही लोकतान्त्रिक तरीके से सत्ता हासिल कर system में फैली गंदगी तथा कमियों को दूर करें, लेकिन इन दरिंदो(नक्सली) को बस बन्दूक से जवाब देना ही आता है चाहे उसमें पुलिस की जान जाये या फिर आम आदमी की ही मौत क्यों न हो जाये. इसलिए जो सिर्फ बन्दूक से ही शासन करना जानते हैं उनसे लोकतंत्र की उम्मीद करना बेमानी होगी ! इसलिए नक्सलवाद का समूल नाश होना आवश्यक रह गया है ! इसलिए नक्सलियों के जितने बड़े-बड़े नेता हैं उन्हें चुन-चुन कर मार गिराया जाये या गिरफ्तार कर फांसी पर लटका दिया जाये ताके "न रहेगा बांस और ना बजेगी बांसूरी" अर्थात न रहेगा नक्सलियों के हुक्मरान न होगा नक्सलवाद और न ही होगा आम नागरिकों एवं जवानों की हत्या !
शाबास कोबरा बटालियन के वीर जवानों जो आपने बहादूरी का परिचय देते हुए किशन जी (हजारों को मौत के घाट उतारने के आदेश देने वाले) को Encounter(एनकाउंटर) में मार गिराया !लगे रहो.....अभी और भी नक्सलियों के बड़े-बड़े नेता गीदड़ बनकर बिल में छुपे हुए हैं!
कोबरा बटालियन के वीर जवानों को मेरा सलाम "जय हिंद जय भारत"