अन्ना हज़ारे ने देश को भ्रष्टामुक्त करने का संकल्प क्या लिया, देश के नेताओं की नींद -चैन उड़ गयी, क्योंकि उन्हे लगने लगा है के कहीं ये विधेयक उनके गले की फाँस ना बन जाए! इसी हतासा में कई नेताओं ने अन्ना हज़ारे और उनके साथियो पर तरह-तरह के इल्ज़ाम लगाकर उन्हे नीचा दिखाने की कोशिश की जा रही है, और शायद यही वजह है के अन्ना हज़ारे भी इन आरोपों से थोड़े सहमे-सहमे से नज़र आने लगे ,तभी तो कुछ दिनों पहले उनकी वाणी में वो गर्मी नही दिखी, जो शरुआती दौर में दिख रही थी! जहाँ लोकपाल बिल की बात है तो इस बिल के दायरे में देश के हर नागरिक को रखा जाना चाहिए, चाहे वो आम-जन हो या फिर देश के मंत्री-संत्री, प्रधानमंत्री, न्यायपालिका, उच्चाधिकारी, कर्मचारी ही क्यों ना हो!
परंतु इस बिल के मसौदे में ये भी ध्यान रखना होगा के कहीं इसका दुरपयोग ना हो! क्योंकी कोई भी व्यक्ति प्रधानमंत्री को इस बिल का उपयोग कर देश को आस्थिर कर सकता है! चूंकि प्रधानमंत्री पद की एक गरिमा होती है, और वह देश की सुरक्षा, अखंडता, राजनीती, अंतराष्ट्रीय संबंध आदि मामले से जुड़ी होती है. अतः ये आवश्यक रह गया है के इनपर बेवजह के आरोपों से भी अंकुश लगाने के लिए कठोर उचित उपाय आवश्यक रहेगा, और तभी इस बिल की साख भी बनी रहेगी और देश भ्रष्टाचारमुक्त हो पाएगा! हमारे देश में भ्रष्टाचार इस कदर घुल-मिल गया है, के इसे ख़त्म किए बगैर एक संपर्भु राष्ट्र का निर्माण होना असंभव है, इसलिए भ्रष्ट रूपी दानव का समूल नाश आवश्यक रह गया है और इस कार्य में हम सब देशवासियों को मिल जुलकर इस आंदोलन को मुखर और सफल बनाना होगा ! (आमीन)
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