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प्यार एक अनुठा एहसास

"प्यार एक अनुठा एहसास है", ये कब,किस क्षण्, किस पल किसी के जिवन मे आ जाता है पता ही नही चलता है । प्यार के माइने हर किसी के नजर में अलग अलग हो सकता है, पर इसका एहसास सभी को एक समान अौर सुखद ही होता है । पंछी, जानवर, इंसान हर सख्स प्यार करता है, और आप प्यार उसी से करते हैं जो आपका प्यार हो, या युं कहें "प्यार एक विश्वास है उसके लिए, जिसे आप मन ही मन चाहते है, दिल से पसंद करते हैं ! "प्यार" के बिना जिवन निरस और जिंदगी अधुरी है ! "प्यार" को किसी सिमा में बांधकर नही रखा जा सकता, मुहब्बत एक एसी मिठी एहसास है जो जिवन के खालीपन को भर देत है !
सच्चा प्यार वो है जिसे आप अपने दिल से करते है और जिसमे किसी प्रकार का कोई स्वार्थ नही होता, वही सच्चा प्यार होता है, कहने का मतलब यह है कि "प्यार" एक एसा खुबसुरत एहसास है जो हर ईसान के दिल के किसी न किसी कोने में जरुर बसा होता है, और इस एहसास के जागते ही दिल के कायनात में जैसे हजारों फुल खिल उठते है ! जिंदगी को जिने का नया मकसद मिल जाता है, "प्यार" का ये एहसास ईसान के सांसों में उन फुलों कि तरह होती है,जिसे वो जिंदगी भर याद रखता है ! जब से इस संसार कि रचना हुई, तभी से जिवन में "प्यार" का पहला अंकुर फुटा होगा । "प्यार" एक अबुझ पहेली है जिसे जानने की कोशिश में जाने कितने पागल हो गये तो कितने मजनुं के खिताब से नवाजे गये पर अभि तक इसके रहस्यों का प्रदाफाश नही हो सका, इंसान एक बार जो "प्यार" के सागर में डुबा तो वो फिर इस सागर से दुबारा वापिस निकल नही पाता! "प्यार" इंसान को जिना सिखाती है, "प्यार" में लोग एक दुसरे के प्रति विशवास आर समर्पण की भावना रखते हैं आैर "प्यार" के मामले में भावना कि बुनियादी बातें ज हो तो वो सच्चा "प्यार" हो ही नही सकता! "प्यार" मे अपने प्यार कि, अपने साथी कि भावना को समझना पड़ता है, "सच्चा प्यार" में एक दुसरे कि कमियों को नजरअंदाज करना पड़ता है और एसा करना जरुरी भी है क्योंकि "सच्चा प्यार" में कमियो का कोइ महत्व नहीं कोइ जगह नही है 

4 comments:

Anonymous said...

realy love is feeling which can give us a moto to capture world in own hand. oh i love.... love.... love.... love

Anonymous said...

"प्यार एक अनुठा एहसास है", ये कब,किस क्षण्, किस पल किसी के जिवन मे आ जाता है पता ही नही चलता है । प्यार के माइने हर किसी के नजर में अलग अलग हो सकता है, पर इसका एहसास सभी को एक समान अौर सुखद ही होता है । पंछी, जानवर, इंसान हर सख्स प्यार करता है, और आप प्यार उसी से करते हैं जो आपका प्यार हो, या युं कहें "प्यार एक विश्वास है उसके लिए, जिसे आप मन ही मन चाहते है, दिल से पसंद करते हैं ! "प्यार" के बिना जिवन निरस और जिंदगी अधुरी है ! "प्यार" को किसी सिमा में बांधकर नही रखा जा सकता, मुहब्बत एक एसी मिठी एहसास है जो जिवन के खालीपन को भर देतI है !

Anonymous said...

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Anonymous said...

"प्यार" के मामले में भावना कि बुनियादी बातें ज हो तो वो सच्चा "प्यार" हो ही नही सकता! "प्यार" मे अपने प्यार कि, अपने साथी कि भावना को समझना पड़ता है, "सच्चा प्यार" में एक दुसरे कि कमियों को नजरअंदाज करना पड़ता है और एसा करना जरुरी भी है क्योंकि "सच्चा प्यार" में कमियो का कोइ महत्व नहीं कोइ जगह नही है